Mamata Banerjee Vs Suvendu Adhikari: Bengal Elections Second Phase Polling: bengal chunav ka dusara charan, muslimon se dur, puja-path bharapur, gotra se Mamata Banerjee ko Fayada ya nukasan, Bengal Elections Second Phase Polling: बंगाल चुनाव का दूसरा चरण, मुस्लिमों से ‘दूर’, पूजा-पाठ भरपूर, गोत्र से ममता बनर्जी को फायदा या नुकसान

हाइलाइट्स:
- पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण की 30 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को होने हैं मतदान
- ममता बनर्जी की पॉलिटिक्स का इस बार हिंदुत्व की ओर झुकाव क्यों है
- बंगाल में दूसरे चरण की विधानसभा सीटों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या महज 13 फीसदी
पश्चिम बंगाल (West Bengal Assembly Election) में दूसरे चरण की 30 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को मतदान होने हैं। इससे पहले ममता बनर्जी (Mamata Banerjee Latest News) के ‘गोत्र कार्ड’ पर हर तरफ चर्चा हो रही है। सवाल उठ रहा है कि कभी जय श्री राम के उद्घोष पर नाराज होने वाली ममता बनर्जी की पॉलिटिक्स (Nandigram Election) का इस बार हिंदुत्व की ओर झुकाव क्यों है। दरअसल, जिन 30 सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होना है, इनमें पश्चिमी मेदिनीपुर की नौ, साउथ 24 परगना की चार, बांकुरा की आठ और पूर्व मेदिनीपुर की नौ सीटें शामिल हैं।
ममता बनर्जी की एक और चूक बीजेपी के लिए मौका बन सकती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में नंदीग्राम क्षेत्र से बीजेपी नेता प्रलय पाल को कॉल किया था। इसके साथ ही उन्होंने टीएमसी का साथ देने की बात कही थी। माना जा रहा है कि इसको लेकर भी टीएमसी के साथ दिख रहे वोटबैंक में सेंध लग सकती है। इसकी वजह कहीं न कहीं ममता बनर्जी का खुद के मतदाताओं के प्रति आश्वस्त ना होना है।
मैं मंदिर गई तो वहां पुरोहित ने पूछा कि मेरा गोत्र क्या है। मुझे याद आया कि त्रिपुरेश्वरी मंदिर में अपना गोत्र मां माटी मानुष बताया था लेकिन आज जब मुझसे पूछा गया तो मैंने कहा कि मेरा निजी गोत्र शांडिल्य है लेकिन मैं समझती हूं कि मेरा सार्वजनिक गोत्र मां-माटी-मानुष है।
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल

नंदीग्राम सीट पर क्या है सियासी समीकरण
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बंगाल में दूसरे चरण (Bengal Second Phase Election) की विधानसभा सीटों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या महज 13 फीसदी है। वहीं, इन सीटों में सबसे अधिक 24 प्रतिशत अनुसूचित जाति को वोटर्स हैं। इनके अलावा पांच फीसदी अनुसूचित जनजाति को वोटर हैं। इन स्थितियों के बीच नंदीग्राम का समीकरण बिलकुल अलग है। यहां मुस्लिम आबादी तकरीबन 23.1 फीसदी है।
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फुरफुरा शरीफ के ‘पीरजादा’ अब्बास सिद्दीकी नंदीग्राम सीट पर टीएमसी की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इस सीट पर 26 मार्च को अब्बास ने जनसभा की थी। ऐसे में अगर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण पर बीजेपी की जीत की उम्मीदें टिकी हुई हैं।

यह समीकरण भी समझना है जरूरी
नंदीग्राम सीट पर क्या है समीकरण?
पश्चिम बंगाल के स्थानीय पत्रकार वीके शर्मा कहते हैं, ‘इस बार मुख्य रूप से मुकाबला ममता बनर्जी और सुवेंदु अधिकारी के बीच है। हां, वामदल की प्रत्याशी मीनाक्षी मुखर्जी इसमें निर्णायक होंगी। दरअसल, नंदीग्राम में ममता सोचती हैं कि मुस्लिम वोटबैंक उनके पास सुरक्षित है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह कहना तो जल्दबाजी है। दलित, शोषित, वंचितों के वोट के साथ-साथ मुस्लिम मत भी इस बार नंदीग्राम की कुर्सी तय करने जा रहा है। अगर मुस्लिम वोटबैंक टीएमसी और वाम दलों के बीच बंटता है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।’

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